तीसरे मोर्चे की वास्तविकता : स्वप्न, हकीकत या छलावा
जन्मदिन एक दिवस अनेक
उत्तर प्रदेश में आज का दिन काफ़ी महत्वपूर्ण है क्योकि आज बहुजन समाज पार्टी की अध्यछ व उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती का ५३वाजन्मदिन जो है जिसे कई मायनो में याद रखा जाएगा। पिछले कई महीनो से बहन मायावती के जन्मदिन की तैयारिया चल रही थी। जबकि पार्टी के अन्य नेता का कहना है की इस बार मुंबई में हुए आतंकी हमलो की वज़ह से बहन जी अपना जन्मदिन बड़े ही सादगी से मनाएगी। मायावती प्रत्येक वर्ष अपना जन्मदिन बड़े धूम धाम से मनाती है लेकिन इस बार माहौल जरा हट के था। प्रत्येक वर्ष बहन जी के जन्मदिन अवसर पर उनके पार्टी के कार्यकर्ता व तमाम प्रतिष्ठित लोग शामिल होते है। लेकिन इस बार उनका जन्मदिन मनाने वालों में उनके समर्थकों के साथ उनके विरोधी पार्टी वाले भी शामिल थे। हा, ये बात अलग है की उनका जन्मदिन मनाने का अंदाज़ अलग था। विरोधियो को तो एक मौका चाहिए चाहे वो जन्मदिन का अवसर हो या कोई और मौका। किसी ने ये मौका गवाया नही। और इसी का फायदा उठा कर विपछी दलों ने प्रदेश में जगह जगह जम कर बवाल काटा। विपछी दलों का आरोप है की बहन जी अधिकारियो, ठेकेदारों, दुकानदारों व आम जनता से पार्टी के नाम पर जबरन चंदा वसूलती है और उस भारी भरकम चंदे से अपना जन्मदिन समारोह खूब धूम धाम से मनाती है। इस चंदे की वज़ह से पैदा हुए फजीहत ने भले ही बहन जी की कुछ दिनों की रातें हराम कर दी हो लेकिन इस चंदे की वज़ह से एक अभियंता के परिवार के दिन का सुकून और रातों की चैन गायब हो गई है। गौरतलब है की दिसम्बर के महीने में पार्टी के एक विधायक शेखर तिवारी ने पी डब्ल्यू दी के अभियंता एम् के गुप्ता की हत्या कर दी थी। मीडिया की कारवाई से ये बात सामने उभर कर आई की पार्टी के विधायक शेखर तिवारी ने पी डब्ल्यू दी के अभियंता एम् के गुप्ता की हत्या इसलिए कर दी गई क्यों की अभियंता ने बहन जी के जन्मदिन के लिए वसूले जा रहे चंदे को देने में असमर्थता दिखाई थी। और इस घटना का सीधे तौर पर बहन जी के जन्मदिन के लिए जुटाए जा रहे चंदे से जोड़ा गया। बहन जी के जन्मदिन के इस मौके को राजनीतिक दलों ने खूब भुनाया । सभी दलों ने तरह से तरह से सरकार के प्रति अपना गुस्सा और विरोध जताया। किसी ने थू- थू दिवस तो किसी ने धिक्कार दिवस तो किसी ने शोषित व खुनी दिवस के रूप में मनाया। विपछि दलों ने जन्मदिन जैसे भी मनाया हो इससे बहन जी को कोई फर्क नही पड़ता। इसके विपरीत बहन जी ने अपना जन्मदिन 'विपछि दल धिक्कार दिवस' के रूप में मना कर विपछि दलों को करारा जवाब दिया है।
आखिर खत्म हुआ चुनावी उत्सव
लो एक और बम धमाका
राजनीति बेफिजूल की
सिंगुर पर राजनीति
शुक्रवार रात दुर्गापुर एक्सप्रेस को रोक दिया गया था लेकिन शनिवार दोपहर से रेलगाड़ी फिर चलने लगी है। ये टाटा के कारखाने और कमाराकुंडा रेल स्टेशन के बीच चलती है। हावड़ा-बर्दवान रेल लाइन पर भी रेलगाड़ियों की आवाजाही बाधित की गई है। दुर्गापुर एक्सप्रेसवे पर सभी दुकानें बंद हैं। किसान व स्थानीय लोग भी प्रदर्शनों में शामिल हैं क्योंकि वे इस कारखाने के काम करने से नौकरियों और व्यवसाय शुरु होने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन सिंगुर पर हो रही राजनीति में वैसे गरीब जनता मारे जाएंगे जिसे एक वक्त की रोटी के लिए सोचना पड़ता है। उधर पश्चिम बंगाल की सरकार का कहना है कि टाटा के राज्य से हटने से पहले 11 हज़ार लोगों ने टाटा के कारखाने के लिए ज़मीन दी थी जबकि केवल दो हज़ार किसान विपक्षी दलों के साथ जुड़कर टाटा का विरोध कर रहे थे। हमें फैक्ट्री लगाने में बहुत आक्रामक विरोध का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा की विपक्ष मूल बातो को समझेगी और हमें पर्याप्त भूमि मिल सकेगी ताकि मुख्य प्लांट और सहायक इकाइयाँ एक साथ लगाई जा सकें, लेकिन ऐसा नहीं हो सका लेकिन हम हमेशा पुलिस की सुरक्षा में काम नहीं करना चाहते थे।
बेवकूफ जनता
मै आप सबका हाल में विभिन्न सहरो में हुए बम धमाको की ओर धयान आकर्षित करना चाहता हू की हम सबको इससे एक सबक लेने की जरुरत है और निर्णय लेने का यही उचित समय है। आए दिनों देस में बम विस्फोट की घटनाए हो रही है। लग रहा है की ये बम विस्फोट नही दिवाली के पटाखे है। इसे जनता की बेवकूफी नही कहेंगे तो और क्या कहेंगे जो हाथ पे हाथ धरे बैठे है। जाहिर सी बात है की आप सोच रहे होंगे की ये कौन है जो हमें बेवकूफ कह रहा है। आज स्थिति इतनी गंभीर हो गई है की कोई भी व्यक्ति अपने आप को सुरछित महसूस नही कर रहा है। अगर इसका जल्द से जल्द हल नही निकाला गया तो इसका परिणाम वर्तमान में पूरे देशवासी भुगत ही रहे है और भविष्य में और भी विकराल रूप देखने को मिलेगा। इसे पागलपन नही कहेंगे तो और क्या कहेंगे और कहेंगे। आए दिनों देस में बम विस्फोट की घटनाए हो रहे है और हम इस समस्या का विरोध करने के बजाए इसके आदि हो रहे है। अगर आप अपने antarman से पूछे की इसके खिलाफ आपने आवाज़ उठाई । नेताओ का क्या है वो तो लालबत्ती की गाड़ी में बैठ कर सफ़ेद कपडे पहने आते है और लोगो से ज्यादा उन्हें अपने जूतों की फिक्र होती है। सही मायने में नुकसान तो हमारे और आप जैसे लोगो का होता है। जिसमे किसी के पिता, भाई, बेटा या सगे सम्बन्धी की मौत होती है।
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