सिंगुर पर राजनीति

टाटा समूह के नैनो परियोजना को पश्चिम बंगाल से बाहर ले जाने की घोषणा के बाद सिंगुर में 12 घंटे का बंद।
शुक्रवार रात दुर्गापुर एक्सप्रेस को रोक दिया गया था लेकिन शनिवार दोपहर से रेलगाड़ी फिर चलने लगी है। ये टाटा के कारखाने और कमाराकुंडा रेल स्टेशन के बीच चलती है। हावड़ा-बर्दवान रेल लाइन पर भी रेलगाड़ियों की आवाजाही बाधित की गई है। दुर्गापुर एक्सप्रेसवे पर सभी दुकानें बंद हैं। किसान व स्थानीय लोग भी प्रदर्शनों में शामिल हैं क्योंकि वे इस कारखाने के काम करने से नौकरियों और व्यवसाय शुरु होने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन सिंगुर पर हो रही राजनीति में वैसे गरीब जनता मारे जाएंगे जिसे एक वक्त की रोटी के लिए सोचना पड़ता है। उधर पश्चिम बंगाल की सरकार का कहना है कि टाटा के राज्य से हटने से पहले 11 हज़ार लोगों ने टाटा के कारखाने के लिए ज़मीन दी थी जबकि केवल दो हज़ार किसान विपक्षी दलों के साथ जुड़कर टाटा का विरोध कर रहे थे। हमें फैक्ट्री लगाने में बहुत आक्रामक विरोध का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा की विपक्ष मूल बातो को समझेगी और हमें पर्याप्त भूमि मिल सकेगी ताकि मुख्य प्लांट और सहायक इकाइयाँ एक साथ लगाई जा सकें, लेकिन ऐसा नहीं हो सका लेकिन हम हमेशा पुलिस की सुरक्षा में काम नहीं करना चाहते थे।

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