राजनीति बेफिजूल की

सिंगुर की नैनो प्रोजेक्ट की तरह रायबरेली की रेल कोच फैक्ट्री भी राजनीति की भेंट चढ़ गई। इसमे भी किसानों को ही मुद्दा बनाया गया है। किसानों को लेकर चल रही राजनीति से यह बात बिल्कुल भी स्पष्ट हो जाती है की चर्चा में बने रहने व वोट बैंक की राजनीति के इस खेल में राजनेता एक तरफ़ वाहवाही लूट रहे है तो दूसरी तरफ़ इस राजनितिक प्रतिद्वंदिता का नुकसान उस गरीब जनता को भुगतना पड़ता है जिसे एक वक्त की रोटी के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। यदि रायबरेली व सिंगुर इन दोनों मामलों की बात की जाए तो इनमे एक महत्वपूर्ण अन्तर यह है की जहां सिंगुर में नैनो प्लांट लगाने के लिए पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्ठाचार्य ने हरसंभव प्रयास किया वही रायबरेली की रेल कोच फैक्ट्री को स्थापित करने में प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ही अड़ंगा लगा रही है। यदि रायबरेली में यह रेल कोच फैक्ट्री स्थापित होती तो लगभग ६०० लोगों को प्रत्यछ् व हजारों लोगों को अप्रत्यछ्य रूप से रोजगार के अवसर प्राप्त होते। इसके साथ ही लगभग २०० लघु उद्योगों के भी स्थापित होने सम्भावना थी लेकिन रोजगार के इस अवसर पर राजनीति की आरी चल गई।

सिंगुर पर राजनीति

टाटा समूह के नैनो परियोजना को पश्चिम बंगाल से बाहर ले जाने की घोषणा के बाद सिंगुर में 12 घंटे का बंद।
शुक्रवार रात दुर्गापुर एक्सप्रेस को रोक दिया गया था लेकिन शनिवार दोपहर से रेलगाड़ी फिर चलने लगी है। ये टाटा के कारखाने और कमाराकुंडा रेल स्टेशन के बीच चलती है। हावड़ा-बर्दवान रेल लाइन पर भी रेलगाड़ियों की आवाजाही बाधित की गई है। दुर्गापुर एक्सप्रेसवे पर सभी दुकानें बंद हैं। किसान व स्थानीय लोग भी प्रदर्शनों में शामिल हैं क्योंकि वे इस कारखाने के काम करने से नौकरियों और व्यवसाय शुरु होने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन सिंगुर पर हो रही राजनीति में वैसे गरीब जनता मारे जाएंगे जिसे एक वक्त की रोटी के लिए सोचना पड़ता है। उधर पश्चिम बंगाल की सरकार का कहना है कि टाटा के राज्य से हटने से पहले 11 हज़ार लोगों ने टाटा के कारखाने के लिए ज़मीन दी थी जबकि केवल दो हज़ार किसान विपक्षी दलों के साथ जुड़कर टाटा का विरोध कर रहे थे। हमें फैक्ट्री लगाने में बहुत आक्रामक विरोध का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा की विपक्ष मूल बातो को समझेगी और हमें पर्याप्त भूमि मिल सकेगी ताकि मुख्य प्लांट और सहायक इकाइयाँ एक साथ लगाई जा सकें, लेकिन ऐसा नहीं हो सका लेकिन हम हमेशा पुलिस की सुरक्षा में काम नहीं करना चाहते थे।

बेवकूफ जनता

प्यारे दोस्तों,
मै आप सबका हाल में विभिन्न सहरो में हुए बम धमाको की ओर धयान आकर्षित करना चाहता हू की हम सबको इससे एक सबक लेने की जरुरत है और निर्णय लेने का यही उचित समय है। आए दिनों देस में बम विस्फोट की घटनाए हो रही है। लग रहा है की ये बम विस्फोट नही दिवाली के पटाखे है। इसे जनता की बेवकूफी नही कहेंगे तो और क्या कहेंगे जो हाथ पे हाथ धरे बैठे है। जाहिर सी बात है की आप सोच रहे होंगे की ये कौन है जो हमें बेवकूफ कह रहा है। आज स्थिति इतनी गंभीर हो गई है की कोई भी व्यक्ति अपने आप को सुरछित महसूस नही कर रहा है। अगर इसका जल्द से जल्द हल नही निकाला गया तो इसका परिणाम वर्तमान में पूरे देशवासी भुगत ही रहे है और भविष्य में और भी विकराल रूप देखने को मिलेगा। इसे पागलपन नही कहेंगे तो और क्या कहेंगे और कहेंगे। आए दिनों देस में बम विस्फोट की घटनाए हो रहे है और हम इस समस्या का विरोध करने के बजाए इसके आदि हो रहे है। अगर आप अपने antarman से पूछे की इसके खिलाफ आपने आवाज़ उठाई । नेताओ का क्या है वो तो लालबत्ती की गाड़ी में बैठ कर सफ़ेद कपडे पहने आते है और लोगो से ज्यादा उन्हें अपने जूतों की फिक्र होती है। सही मायने में नुकसान तो हमारे और आप जैसे लोगो का होता है। जिसमे किसी के पिता, भाई, बेटा या सगे सम्बन्धी की मौत होती है।

samachar

भारत-अमरीका असैनिक परमाणु समझौते पर १ अक्टूबर २००८ को अमरीकी सीनेट में मतविभाजन होगा। प्रतिनिधि सभा इसे पहले ही दो तिहाई बहुमत से पारित कर चुकी है। भारत-अमरीका असैनिक परमाणु समझौते विषय पर १ अक्टूबर २००८ को शाम लगभग साढ़े सात बजे सीनेट में यह समझौता मंज़ूरी के लिए पेश किया जाएगा। अमरीकी संसद के निचले सदन ने भारत-अमरीका परमाणु समझौते को 117 के मुक़ाबले 298 मतों से पारित किया था। सीनेट में डेमोक्रैटिक और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों के सांसदों का समर्थन परमाणु समझौते को मिल सकता है। सीनेट से मंज़ूरी मिलने के बाद दोनों देशों के विदेश मंत्री औपचारिक रुप से 123 समझौते पर हस्ताक्षक्चार करेंगे। इसके साथ ही भारत और अमरीका के मध्य परमाणु ईंधन और तकनीक के कारोबार का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा.
दो संशोधन
डेमोक्रैट हैरी रीड ने बताया की कि सीनेट में परमाणु समझौते में दो संशोधन करने के प्रस्तावों पर भी चर्चा होगी। गौरतलब है की कुछ सांसदों ने ये स्पष्ट करने को कहा है कि अगर भारत भविष्य में परमाणु परीक्षण करता है तो अमेरिका की क्या नीति होगी। फिलहाल इनका मक़सद यह तय करना है कि अमेरिका से मिलने वाले परमाणु ईंधन या तकनीक का इस्तेमाल भारत परमाणु हथियार बनाने के लिए न कर पाए। संशोधन का एक प्रस्ताव यह है कि भारत के परमाणु परीक्षण करने की स्थिति में अमरीकी राष्ट्रपति सत्यापित करें कि परीक्षण में अमरीकी तकनीक या पदार्थों का इस्तेमाल नहीं किया गया। जब की दूसरा संशोधन प्रस्ताव परीक्षण की दशा में अमरीकी परमाणु निर्यात रोकने की बात करता है। अमरीकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा से पारित होने के बाद एक सीनेटर ने परमाणु समझौते से जुड़े विधेयक में अड़ंगा डालने की कोशिश की थी लेकिन पर्दे के पीछे चली बातचीत में उन्हें मना लिया गया.

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